आफरीन आफरीन
हुस्न-ए-जाना की तारीफ मुमकिन नहीं
आफरीन आफरीन
आफरीन आफरीन
तू भी देखे अगर तो कहे हमनशीं
ऐसा देखा नहीं खूबसूरत कोई
जिस्म जैसे अजंता की मूरत कोई जिस्म जैसे निगाहों पे जादू कोई
जिस्म नगमा कोई जिस्म खुशबू कोई जिस्म जैसे मचलती हुई रागिनि
जिस्म जैसे महकती हुई चाँदनी जिस्म जैसे की खिलता हुआ एक चमन
जिस्म जैसे की सूरज की पहली किरन
जिस्म तरशा हुआ दिलकश-ओ-दिलनशीं
संदली संदली मरमरी मरमरी
चेहरा एक फूल की तरह शादाब है
चेहरा उसका है या कोई माहताब है
चेहरा जैसे गझल चेहरा जान-ए-गझल
चेहरा जैसे कली चेहरा जैसे कंवल
चेहरा जैसे तसव्वुर भी तस्वीर भी
चेहरा एक ख्वाब भी चेहरा ताबीर भी
चेहरा कोई अलिफ़-लैलवी दास्तान
चेहरा एक पल यक़ीन चेहरा एक पल गुमान
चेहरा जैसे की चेहरा कही भी नहीं
माहरू माहरू महजबीन महजबीन
आँखें देखी तो मैं देखता रह गया
जाम दोनों और दोनों ही दो आतिशा
ऑंखें या मयक़दे के दो बाब है
आँखें इनको कहूँ या कहूँ ख्वाब है
ऑंखें नीची हुई तो हया बन गयी
आँखें ऊँची हुई तो दुआ बन गयी
आँखें उठ कर झुकी तो अदा बन गयी
आँखें झुक कर उठी तो कदा बन गयी
ऑंखें जिन में है कैद आसमान-ओ-जमीन
नर्गिसी नर्गिसी सुरमयी सुरमयी
जुल्फ़े जाना की भी लंबी है दास्तान
जुल्फ की मेरे दिल पर है परछाइयाँ
जुल्फ जैसे की उमड़ी हुई हो घटा
जुल्फ जैसे की हो कोई काली बला
जुल्फ उलझे तो दुनिया परेशान हो
जुल्फ सुलझे तो ये दीद आसान हो
जुल्फ बिखरे सियाह रात छाने लगे
जुल्फ लहराई तो रात जाने लगे
जुल्फ जंजीर है फिर भी है कितनी हसीन
रेशमी रेशमी अम्बरी अम्बरी
आफरीन आफरीन
आफरीन आफरीन
तू भी देखे अगर तो कहे हमनशीं
ऐसा देखा नहीं खूबसूरत कोई
जिस्म जैसे अजंता की मूरत कोई जिस्म जैसे निगाहों पे जादू कोई
जिस्म नगमा कोई जिस्म खुशबू कोई जिस्म जैसे मचलती हुई रागिनि
जिस्म जैसे महकती हुई चाँदनी जिस्म जैसे की खिलता हुआ एक चमन
जिस्म जैसे की सूरज की पहली किरन
जिस्म तरशा हुआ दिलकश-ओ-दिलनशीं
संदली संदली मरमरी मरमरी
चेहरा एक फूल की तरह शादाब है
चेहरा उसका है या कोई माहताब है
चेहरा जैसे गझल चेहरा जान-ए-गझल
चेहरा जैसे कली चेहरा जैसे कंवल
चेहरा जैसे तसव्वुर भी तस्वीर भी
चेहरा एक ख्वाब भी चेहरा ताबीर भी
चेहरा कोई अलिफ़-लैलवी दास्तान
चेहरा एक पल यक़ीन चेहरा एक पल गुमान
चेहरा जैसे की चेहरा कही भी नहीं
माहरू माहरू महजबीन महजबीन
आँखें देखी तो मैं देखता रह गया
जाम दोनों और दोनों ही दो आतिशा
ऑंखें या मयक़दे के दो बाब है
आँखें इनको कहूँ या कहूँ ख्वाब है
ऑंखें नीची हुई तो हया बन गयी
आँखें ऊँची हुई तो दुआ बन गयी
आँखें उठ कर झुकी तो अदा बन गयी
आँखें झुक कर उठी तो कदा बन गयी
ऑंखें जिन में है कैद आसमान-ओ-जमीन
नर्गिसी नर्गिसी सुरमयी सुरमयी
जुल्फ़े जाना की भी लंबी है दास्तान
जुल्फ की मेरे दिल पर है परछाइयाँ
जुल्फ जैसे की उमड़ी हुई हो घटा
जुल्फ जैसे की हो कोई काली बला
जुल्फ उलझे तो दुनिया परेशान हो
जुल्फ सुलझे तो ये दीद आसान हो
जुल्फ बिखरे सियाह रात छाने लगे
जुल्फ लहराई तो रात जाने लगे
जुल्फ जंजीर है फिर भी है कितनी हसीन
रेशमी रेशमी अम्बरी अम्बरी
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